ChatGPT नामक ऑनलाइन AI टूल्स को लेकर सॉफ़्टवेयर मार्केट में ज़बरदस्त दहशत है. कई एक्सपर्ट्स बता रहे की ये पूरी तरह से सॉफ़्टवेयर फ़ील्ड की सामान्य निचले कर्मियों की छुट्टी कर देगा.
कहने का मन करता है...
प्रखर राष्ट्रवाद एवं हिन्दुत्व की विचारधारा से ओतप्रोत लेखन करना अपनी आदत है ! भगवान महाकाल का छोटा सा भक्त हूँ ! विद्या की आराधना प्राथमिकता है ! किताब, कलम और इंटरनेट साथी है मेरे ज्ञान की ! थोड़ा सा आलसी हूँ मगर जिम्मेदारियों से कभी पीछे नही हटता ! थोड़ा घमंड है पर विनम्रता भी अंदर में जीवित है ! राष्ट्र का सम्मान करता हूँ, सेना को सर आंखों पर रखता हूँ ! झूठ चाणक्य के कहे अनुसार ही बोलता ! बस कलम से राष्ट्रवाद को धार देने की कोशिश में लगा रहता... आपके ब्लॉग पर आते रहने की लत लगी रहे...
13 January 2023
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस
#DeCriminilization #जन_विश्वास_बिल
मोदी सरकार हाल ही में लोकसभा के अंदर जन विश्वास बिल लेकर आई है. ये अकेला बिल 42 अलग अलग क़ानूनों के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन कर देगा. मतलब 42 बार संशोधन क़ानून लाने की कोई ज़रूरत नहीं.
शराबबंदी 🍷
बिहार में शराबबंदी है.. पूर्ण शराबबंदी ! सख़्ती इतनी की बिहार से होकर गुजरने वाली ट्रेन में अगर शराब मिल गई तो सीधे अंदर करने का नियम बना रखा है. राज्य का पर्यटन पहले से चौपट है, टूरिस्ट को पता है क़ानून व्यवस्था आज भी नहीं सुधरी, कब कहाँ लूट लिए जाएँगे नहीं पता. क्यों आँयेंगे बेवक़ूफ़ी करने ? कहीं गलती से शराब पिये पकड़े गये तो समझो सारी इज्जत मिट्टी में मिला देगी बिहार पुलिस.
डिजिटल करेंसी e₹💵
अब यह स्पष्ट है की आने वाले 4-5 वर्ष में सबकुछ इतना बदलने वाला है जिसका अंदाज़ा शायद ही किसी को हो. भारत अपनी डिजिटल करेंसी लेकर बाज़ार में उतर चुका है. ये बेहद असाधारण बात है की आज भारत दुनिया के टॉप कंट्री में शामिल हो गया जिसके पास अपनी एंक्रिप्टेड डिजिटल करेंसी है.
24 November 2022
लिव इन
लिव इन रिलेशन का बढ़ता चलन लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए ज़्यादा घातक है. मॉडर्न लाइफस्टाइल और कूल दिखने की सनक में लड़कियाँ फँसती जा रही है. ये अमेरिकन, ब्रिटिश क्रिश्चियन कल्चर को अपनाने की धुन में भूल जाती है की इन भारतीय युवतियों का पालन पोषण भारतीय समाज में हुआ है और यहाँ के मूल्यों, समाज के नियम एकाध परसेंट भी अगर डीएनए में रह गये तब शुरू होता है स्त्री मन और ब्रेन में इमोशनल महत्वकांक्षा का खेल.
इतना आसान भी नहीं है की दुनिया के सबसे शानदार
सभ्यता के मूल्यों को एक जन्म में कोई मिटा पाये यह लगभग असंभव बात है.
पूरा का पूरा तंत्र एक दूसरे से इतना गुँथा हुआ है की
परिवार, त्योहार, रिश्ते, नाते जन्म से ही दिमाग़ में इनबिल्ट होए रहते है..
बाद में भले आधुनिक बन गये, बीच
पर धूँप सेंकने वाला कल्चर पसंद आने लगे, लिव इन में रहो..
मौज करो, शराब पिओ, नाईट क्लब जॉइन करो
नाचो.. मतलब फ़ुल वोक बनी होती है.
मगर एक वक्त आता है जब लड़कियों को चुल्ल मचती है
विवाह की..
बच्चे का शौक़ उबाल मारता है, रिश्तों
की फ़िक्र होने लगती है. क्योंकि यह सपने तो प्राकृतिक रूप से इनबिल्ट होती है
उसके अंदर.
अब उसकी उम्मीदें पुरुष से बंधने लगती है की पार्टनर
उसे अपनाये.. इस रिश्ते को मान्यता दे.
बस यही से खेल बिगड़ता है. जबकि ब्रिटिश अमेरिकन
कल्चर की महिलाओं में ये भावना जल्दी नहीं आती, ये उनके संस्कृति के
मूल में नहीं है. वहाँ पुरुष भी आज़ाद होते, आज इसके साथ कल
कोई और..
यहाँ के लड़कों के भी सपने दस दस गर्लफ्रेंड घुमाने
और पार्टनर बनाने से कम थोड़ी ना होती. चूँकि नर की प्रकृति ही है ऐसा और इसे
अमानवीय भी नहीं कह सकते.
सनातन संस्कृति ऐसी उद्दंडता से बांध कर रखती है
इसलिए हम सभ्य बने घूमे रहे..
सामाजिक पतन का डर है जानते हैं की ऐसा करेंगे तो
समाज लहुलुहान कर देगा.. इसलिए मजबूरी में बंध कर सही रास्ते पर चल रहे हैं.
जैसे ही इस समाज का कोई व्यक्ति वोक कल्चर में घुसा
या कूल ड्यूड बनकर वोक गर्ल्स का साथ देने लगा,
समझ लीजिए वो भेड़िया बन गया..
उसे कोई मतलब नहीं की स्त्री को स्त्री समझेगा, कोई
फ़र्क़ नहीं की किसी को रिश्ते निभाने है, घर बसाना है. समाज
से कटे पुरुषों के दिल में इमोशन की कोई जगह नहीं होती.
उसकी प्रकृति वैसे भी एक के साथ जीवन काटने की नहीं
होती, क्योंकि पुरुष का स्वभाव बहूस्त्रीवाद नेचर की है.
ले देकर उसे ही भुगतना है जो आज मॉडर्न बन रही है, इंटर
कास्ट तो छोड़िए इंटर रिलिजन शादियों के लिए पागल हुए जा रही है. सनातन और सिमेटिक
धर्मों में नार्थ और साउथ पोल जैसा अंतर है.
सिमेटिक धर्मों में करुणा दया की जगह नहीं होती, रेगिस्तानी
कल्चर से उत्पन्न विश्वास में हमेशा कट्टरता रहेगी क्योंकि वहाँ खाने के लिये फसल
नहीं उपजती थी, जीवहत्या कर मांस भक्षण एकमात्र विकल्प था..
इसलिए 35 टुकड़े किए जाने की
एकाध कहानी वायरल हो पाती है अन्यथा उनके लिए ये आम बात होती है..
लड़कियों के लिए जितनी आज़ादी यहाँ की सोसाइटी ने दे
रखी है उतना किस मिडल ईस्ट या अरब पाक सोसाइटी में है सर्च करके देख लेना चाहिए.
वेस्ट से तुलना करेंगे तो पति को दस अलग अलग महिलाओं से शेयर करने लायक़ सोच भी रख
लेना.
भारत का समाज बहुत लिबरल है, इसलिए
घूँघट पर्दा प्रथा कब का उठ गया. हमारा समाज लड़कियों को जॉब करने के लिए ख़ुद
प्रोत्साहित करता दिखता है.
मॉडर्न ड्रेस, मॉडर्न लाइफस्टाइल भी
स्वीकार्य हो चुका है कोई रोक टोक नहीं..
लेकिन सेम रिलिजन में भी लिव इन जैसे मसलों पर
लड़कियों को सौ बार सोंचना चाहिए.. हो सकता है सुंदरता के बल पर शुरू के 10-15 वर्ष अच्छे बीते लेकिन जिस दिन सुंदरता ढलेगी, चेहरे
पर झुर्रियों आयेंगी, बाल चुएँगे तब देखना स्ट्रगल क्या होता
है..
पुरुष का क्या है उसका सबसे बड़ा हथियार पैसा रहेगा
तो 62 वर्ष में भी सुन्दरियाँ लाइन में होगी..
लेकिन तुम्हारी सुन्दरता गई और पार्टनर बहकेगा तब
तुम्हारा साथ देने को ये समाज खड़ा नहीं मिलेगा.. बहुत अकेला फील होगा.. समाज को
छोड़ने वाले अक्सर सुसाइड से स्वयं का अंत कर लेते हैं…
जीवन में इतना बेसिक ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है की
संकट आने पर परिवार और समाज पीछे खड़ा मिले…
न्यायतंत्र
डी वाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के नये मुख्य न्यायाधीश बने ! यह जानकारी बेहद दिलचस्प है कि उनके पिता वाई चंद्रचूड़ भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं..
ये कोई व्यंग नहीं है.. सच्चाई है देखिए और सिस्टम को
नज़दीक से समझिये !
मेरा इशारा सीधा और स्पष्ट है की भारत की जनता द्वारा
प्रत्यक्ष चुनी गई संसद के पास आज कॉलेज़ियम का कोई विकल्प नहीं है ! एक स्वघोषित
शक्तिशाली संस्था के सामने सरकारें पंगु दिखती है..
ये किसकी नाकामी है की लोकतंत्र की रक्षा करने वाला
यह अंग जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं है..
कोई सिटीजन चार्टर यहाँ लागू नहीं होता की न्याय की
सर्विस आपको कितने दिनों में प्रदान की जाएगी, और अगर सर्विस डिलीवर
नहीं हुई तो जनता के पास क्या अतिरिक्त विकल्प दिये गये ! सेवा की गारंटी यहाँ
नहीं मिलती..
लोकसभा, राज्यसभा के क़रीब 800
सांसदों और राष्ट्रपति की सहमति से बना हर एक क़ानून आज 3 या 5 व्यक्ति विशेष द्वारा परखी जाती है ! अपनी
विचारधारा के अनुसार फिट नहीं बैठी तो क़ानून अवैध हो जाता है..
इनके लिए बने NJAC को ये ख़ुद अवैध घोषित
कर देते हैं..
बावजूद इसके की एक विस्तृत तंत्र संसद के अंदर जाँच
पड़ताल के लिए पहले से बनी है.. JPC और डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री
कमेटी जैसी व्यवस्था इनके ज्ञान के सामने कुछ नहीं हैं..
कई डिसिशन पढ़ो तो ऐसा प्रतीत होता है की ये देश
चलाना चाहते हैं, क़ानून लिखना चाहते हैं… चाहते हैं की पब्लिक नेताओं जैसी
इज्जत दे, देखते ही जयकारे लगाने शुरू कर दे.. इनके विचारों
को सुनकर जनता लहालोट हो जाये..
मगर अफ़सोस, नेता पब्लिक सेंटीमेंट
के मामले में हज़ार गालियाँ मतदाताओं से खा लेंगे लेकिन इन मामलों में एकाधिकार किसी
को नहीं देते !
लार्ड साहब को उनकी चहारदीवारी के बाहर कोई वैल्यू
नहीं देता, ख़ुन्न्स में IAS IPS को हाज़िर करा
डाँटते दिखते.. लेकिन ये अफ़सर भी घाघ.. डाँट सुन लेंगे मगर पब्लिक में भौकाल ख़ुद
का ही रखेंगे, उसमें कोई शेयरिंग नहीं करते !
न्यायपालिका का जनता के प्रति उत्तरदायी न होना, भारत
के लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर रहा है ! एक अपारदर्शी और मेघावी लोगों से अन्याय
करने वाले चयन तंत्र अपना कर रखना बहुत ख़तरनाक है.. जनता को जस्टिस डिलीवरी करने
की जगह अधिकतम समय बेवजह के मटकी, पटाखे आदि में लगे रहना
फिर ऊपर से दो महीने की ख़ुद से छुट्टी घोषित करके जनता के पैसे से मस्ती सैर
सपाटा करना उद्देश दिखता है !
वंशवाद का ट्रेंड ऐसा है की नेता भी एक बार को शर्मा
जाए.. फिर भी नेता सेट करने में बहुत मेहनत करता है और अपने लौंडे को शुरू से ही
फील्ड में उतार कर रखता है… सेवा भावना सिखाता है…
जब से इंटरनेट आया है तब से नेतागीरी बहुत टफ़ काम हो
चला है..
ज्यूडिशरी बहुत बड़े सुधार की माँग कर रही है.. एक
चुनी हुई सरकार का यह दायित्व है की एक ऐसी संस्था जिसपर न्याय करने की
ज़िम्मेदारी है वह अपने दायित्वों का निर्वहन के लिए हर वक्त जनता के प्रति
उत्तरदायी हो.. उसके संवैधानिक अधिकार या writ की शक्ति अपने निजी
कुंठा के लिए इस्तेमाल करने की जगह उसका दायरा बने ! writ, चुनावी
विवाद और मानवाधिकार हनन आदि के मामले के अतिरिक्त अन्य किसी भी मामले में बेवजह
संसद के काम में दख़लंदाज़ी रोकनी होगी !
क्योंकि ये चुनकर नहीं आते.. इन्हें जनता के बीच नहीं
जाना होता.. चोर हो लुटेरा हो जो भी है हमारा नेता हमारे सामने झुकता है, खरी
खोटी सुनाओ तो सह लेता न की कंटेम्प्ट की धमकी देता है !
इसलिए एक जबावदेह और punctual ज्यूडीशरी की
बेहद ज़रूरत इस राष्ट्र को है.. अन्यथा 3 या 5 व्यक्ति के निर्णयों से हमारे क़ानून तय होते रहेंगे और ये राष्ट्र को
अपने हिसाब से नियंत्रित करने की कोशिश करते रहेंगे…
बिक_गया_ट्विटर @ElonMusk
ऐलन मस्क ने ट्विटर को मज़ाक़ मज़ाक़ में ख़रीद लिया. ये व्यक्ति टेक्नोलॉजी और स्पेस की दुनिया का कीड़ा है, यह शार्प ब्रेन के साथ साथ दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति भी है इसलिए जब जो चाहे जिसे चाहे डील कर डालता है.
दो बेहतरीन संसाधनों की जुगलबंदी हमेशा बहुत ख़तरनाक
ही होती है. आप लड़की हैं/ महिला हैं, ब्यूटी विथ ब्रेन यानी
दोनों पास है मतलब लिख कर रख लीजिए की सारा समाज और सिस्टम में बैठा पुरुष तंत्र
आपका ग़ुलाम हो जाएगा. जहां जाएँगे चुटकियों में काम होगा, आपकी
टट्टी सी बात पर भी लोग आह वाह करके लोट पोट हो उठेंगे. उसके लिए भागे भागे
फिरेंगे. यही प्रकृति का संतुलन है.
उसी तरह जिस लड़के/मर्द के पास अथाह पैसे के साथ
कुशाग्र बुद्धि हो, अच्छा विवेक हो वह जहां रहेगा सब पर राज करेगा ही करेगा.
उसे बुद्धि से रोकेंगे तो पैसे का इस्तेमाल करेगा और पैसे दिखाओगे तो बुद्धि से
निपटा लेगा. एलेन मस्क के साथ यही है.
उसकी टेस्ला की इलेक्ट्रिक कार ने दुनिया में उस वक्त
धूम मचा दी जब हम भारतीयों ने ढंग से पेट्रोल कार की सवारी भी न की थी. स्पेस एक्स
प्रोग्राम लॉंच किया, स्टारलिंक टेक्नोलॉजी लाकर बिना ऑप्टिकल फ़ाइबर के
सैटेलाइट से इंटरनेट कनेक्शन जोड़ दिया. अपने इस टेक्नोलॉजी से कई देशों की
मुसीबतें बढ़ा दी. कई अमीरों की गर्लफ्रेंड पटा डाली, मतलब
इसके दिमाग़ और पैसे का इतना ख़तरनाक कॉम्बिनेशन है की जब जो चाहा हासिल कर लिया.
अब उसने ट्विटर को ट्विटर पर बोली लगाकर ख़रीद डाला.
मेटा यानी फ़ेसबुक सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ख़ौफ़ में आ गये हैं. इसने
ट्विटर की कमान सँभालते ही सीईओ को निकाल फेंका. एक नकारात्मकता से भरा हुआ भारतीय
सीईओ पराग अग्रवाल की ऐंठ निकाल दी.
एक के बाद एक लोगों की सफ़ाई अभियान में लगा है.
ट्विटर को ऑल इन वन बनाने के सपने उसने बुना है.
गंभीर और इंटेलेक्चुअल लोगों का अड्डा माने जाने वाला ट्विटर सबकी बैंड बजाएगा.
फ़ेसबुक की ऐंठन छूटेगी, इंस्टाग्राम वाली कमरिया वहाँ भी मटकेगी और बाबू सोना का
अड्डा भी बनाने पर एलेन मस्क ज़रूर काम करेगा.
इससे फ़ेसबुक यानी मेटा की नींद उड़ी हुई है.
इधर पब्लिक का क्या है जहां उसे बेहतर मनोरंजन मिलेगा, सम्मान
मिलेगा उधर निकल लेगा.
आज की दुनिया में टेक्नोलॉजी ने सबको तलवार की धार पर
ला खड़ा कर दिया है. डेटा और यूज़र्स का ऐसा बाज़ार स्थापित हो गया है की सब इसे
लूट लेना चाह रहा, और सबकी आँखें सिर्फ़ भारत की विशाल आबादी पर टिका है.
उनकी पॉलिसी में, ऐप्स डिज़ाइन में भारत की जनता के पसंद और
नापसंद बहुत मायने रखते हैं.
इसलिए जब ट्विटर को सुपर ऐप बनाने की घोषणा के साथ
एलेन मस्क आ ही गये हैं तो भारत सरकार को अपना स्क्रू टाइट कर देना चाहिए. इन
विदेशी कम्पनियों से टैक्स वसूलने के तरीक़ों पर काम आगे बढ़ाये, देश
में डेटा सेंटर बनाने की बाध्यता सहित नागरिकों की गोपनीयता और राजनीतिक हस्तक्षेप
से राष्ट्र को सुरक्षित रखने के तरीक़ों पर काम करना होगा..
5G का आना और एलेन मस्क का सोशल मीडिया की दुनिया में उतरना
फिर से एक ख़तरनाक कॉम्बिनेशन बन रहा है. शायद टेक्नोलॉजी और वर्चुअल रियलिटी के
बदौलत आने वाला दशक इतनी रफ़्तार से तरक़्क़ी करेगा की जिसकी कल्पना आगे के
शताब्दियों तक हमने न की होगी… मानवीय बुद्धि पर मशीनी समझ (AI) भारी पड़ सकती है…
महाकाल कॉरिडोर
आदि शंकराचार्य के बाद अगर कोई हिंदू धर्म को पुनर्रस्थापित कर रहा है तो वे व्यक्ति मोदी हैं.. इसमें कोई शंका नहीं की भारत भर में घूम घूम कर सनातन को उसकी पहचान वापस कर रहे हैं. काशी कॉरिडोर की अनंत छटा अभी लोग देखने ही जा रहे की एक और महाकाल कॉरिडोर तैयार हो गया.
हम जैसे युवाओं में महाकाल का एक अलग क्रेज़ पहले से
ही था, अब ये भव्यता निश्चित अपनी ओर खिंच लेगी.
आज के वक्त में हर चीज में लोगों को सटिस्फैक्शन
चाहिए, वे
आज से मात्र 4-5 साल पहले तक मंदिर
जाना 40+ उम्र का काम माना जाता था. घूमने के नाम पर सोसाइटी
में भौकाल के लिए कुल्लू, मनाली, ऊटी
बेस्ट ऑप्शन हुआ करता था.
आज आप महसूस करिए की देश और समाज में क्या बदलाव आया
है. कितना कुछ बदल गया है, सब 360 डिग्री घुमा हुआ दिखता है.
ज्योर्तिलिंग का दर्शन युवाओं का पैशन होता जा रहा.
इसलिए आज की ज़रूरत है ऐसे कॉरिडोर को बनाना. वहीं
घूमने जा रहे जहां शानदार व्यू हो, ट्रांसपोर्ट की सुविधा
अच्छी रहे, लोकेशन गर्व से सोशल मीडिया पर शेयर कर सकें.
केदारनाथ में अबतक के सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं. काशी
जाइए तो ऑफ सीजन तक में होटल फुल मिल रहा. गंगा आरती में शामिल होना गर्व की बात
हो गई है. राम मंदिर जब बन उठेगा तो सनातन शंखनाद करेगा.
दक्षिण में मंदिरों की भव्य कलाकृति को वापस वो गौरव
हासिल कराया जा रहा है जो इतिहास से मिटा दी गई थी.
आज महाकाल चमक रहे हैं. अपने बाबा की नगरी जगमगा रही
है. ये शानदार फोटो और उसमें प्रधानमंत्री की अटूट भक्ति की ये तस्वीरें घर घर में
पहुँच रही है. राष्ट्र का नायक जब महाकाल के समक्ष इस तरह नतमस्तक हैं तो अब लोगों
की भीड़ चल ही पड़ेगी अपने बाबा महाकाल की ओर..
सोचिए आसपास का एरिया इन तीर्थयात्रियों के बदौलत
कितना विकसित हो उठेगा. रोज़गार के साधन उपलब्ध होंगे.
आज का युवा और अमीर वर्ग तीर्थस्थलों की ओर आकर्षित
हो रहा है. पूजा पाठ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर अधिक लाइक कमेंट देकर जा रही.
देश रक्षा सामग्री में आत्मनिर्भर हो रहा, रोज़
यूनिकॉर्न कंपनी पनप रही, सिलिकॉन बनाना साकार हो रहा है.
टेक्नोलॉजी में हम नित्य नये झंडे गाड़ रहे. समानान्तर हम अपनी संस्कृतियों में
वापस घुल मिल रहे हैं. मंदिर जा रहे, अभिषेक कर रहे, अपने धर्म का सम्मान करना सीख रहे हैं.
बहुत बदला है.. हमें यक़ीन नहीं होता की आज हमारे
मंदिर इतने भव्य स्वरूप में बदले जा रहे हैं.. निश्चित आदि शंकराचार्य का मोदी
स्वरूप हमारे सामने हैं.. काल के देवता महाकाल को बारंबार प्रणाम
5GIndia
भारत आज से 5G की दुनिया में प्रवेश कर गया है. हमें एक नई डिजिटल क्रांति के लिए तैयार रहना चाहिए. अगले चार-पाँच वर्ष में सब कुछ इतना बदलने वाला है जिसकी कल्पना भी हमने नहीं की होगी.
अगर आपको टेक्नोलॉजी उतनी समझ नहीं आती या सोचतें
होंगे की अब सीखने की उम्र नहीं रही तो जरा संभल जाइए. मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ़
कॉल करने या उससे आगे फ़ेसबुक/ व्हाट्सएप पर स्क्रॉल करने या गुड मॉर्निंग मैसेज
भेजने भर करते हैं तो आगे वाले दिन में आप निश्चित तौर से आधुनिक समाज से बाहर हो जाएँगे.
दुनिया की नज़र में आप बेवकूफ के अतिरिक्त कुछ नहीं नहीं कहे जाएँगे. अब लाठी वाला
जमाना लद गया, घर में बैठे बैठे आपकी सारी जामपूँजी चट हो जाएगी. ऑनलाइन
ब्लैकमेलिंग का धंधा ज़ोर पकड़ेगा और बेवकूफ बने रहेंगे तो 100% फँसेंगे.
वर्तमान 4G की डिजिटल टेक्नोलॉजी
आज देश में क्या रोल निभा रहा है ये किसी से छुपा नहीं है. ऑनलाइन बैंकिंग,
UPI से लेकर सरकार की बड़ी बड़ी योजनाएँ एक क्लिक पर उपलब्ध है.
घूमने का मन है वेबसाइट खोलिए फ्लाइट बुक कीजिए उड़ जाइए, फ़िल्म
देखने का मन तो तो मनपसंद सीट बुक करके मोबाइल से ओला बुलाइए और निकल लीजिए. भूख
लगी तो zomatto वाला हाँफते हाँफते मनपसंद ख़ाना हाथ में
पकड़ा जाएगा. दुनिया की किसी भी टॉपिक की बेहतरीन एनालिसिस से लेकर 3D विज़ुअल्स के साथ मोबाइल सामने लाकर पटक देगा.
राशन ख़रीदना हो, कपड़े ख़रीदना हो
उँगलियाँ घुमाइये और सब प्रकट.. उसमें भी हर प्रोडक्ट / क्वालिटी / वापसी की इतनी
गारंटी की कल्पना भी नहीं कर सकते.
एक ऐसा देश जिसे शायद एक दशक पहले तक सपेरों का देश
कहा जाता था. उसके नागरिकों की उँगलियों पर उसका जीडीपी नाच रहा है. पश्चिम वाले
टेक्नोलॉजी भले लाए लेकिन उसका सबसे शानदार उपयोग हम भारतीय करने लगे हैं. फ़ेसबुक, ट्विटर
और यूट्यूब का जितना बेहतर इस्तेमाल हम भारतीयों ने किया है उतना अमेरिका ने भी
नहीं सोचा होगा. सरकारें टेक्नोलॉजी से डरने लगी हैं, नेताओं
के लिए नेतागीरी इतनी आसान बात अब नहीं रही. पुलिस वाले वीडियो शूट होने की ख़ौफ़
में जीने लगे हैं.
5G उपरोक्त सारी क्रांतियों को बौना साबित करेगा. 4G के मुक़ाबले इसकी स्पीड 100 गुना होगी. यानी पलक
झपकते 3 घंटे की मूवी 3 सेकण्ड में
आपके मोबाइल में डाउनलोड हो जाएगी. डॉक्टर रोबोटिक सर्जरी कर सकेंगे. 3D वीडियो कॉलिंग की कल्पना शायद साकार हो जाएगी.
बैंकिंग और सरकारी संस्थाओं में ह्यूमन रिसोर्सेज़ की
ज़रूरत कमेगी, मतलब बहुत सारे काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अपने आप हो
जाएगा सिर्फ़ मॉनिटरिंग के लिए लोगों की ज़रूरत होगी. यानी वो अय्याशी वाली
नौकरियों की दिन लदेंगे.
सरकारी विभागों में नौकरियाँ करते हैं तो संभल जाइए, ई-ऑफिस
धीरे धीरे AI का इस्तेमाल करके स्वयं को इतना डेवलप कर लेगा
की एक क्लिक पर आपकी सारी निष्ठा, ईमानदारी और डेडिकेशन को
नंगा करके सामने रख देगा.
वेतन बढ़ोतरी या प्रमोशन जैसी मामलों में मशीनें
निर्णय लेने लगेगी. डिजिटल मुद्रा लाने की घोषणा RBI पहले ही कर चुकी है,
मतलब धीरे धीरे हार्ड करेंसी को बाज़ार से हटा कर डिजिटल करेंसी
लादा जाएगा. फिर आपकी एक एक चीजें ट्रैक होगी.
ज़्यादा चतुर बनेगें तो ED को
ब्लैक मनी ट्रांज़ेक्शन को ट्रेस करने में एक मिनट भी नहीं लगनी है और नौकरी
जायेगी अलग से.
प्राइवेट नौकरियों वाले के लिए आने वाला दिन और
स्ट्रगल लाएगा, परफॉरमेंस का दबाब कई गुना बढ़ेगा. छात्रों के बीच
प्रतिस्पर्धा बहुत तगड़ी होने वाली है. अगर गाँव के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले
ग़रीब बच्चों को टेक्नोलॉजी के साथ मुख्यधारा में लाने में अगर सरकार जरा भी चूक
करती है तो उनके भविष्य को समाप्त कर सकती है. अगर शिक्षा व्यवस्था ऐसे ही रहे तो
बेरोज़गारी बढ़ती जाएगी. टैक्स चुराना बीती बातें होंगी…
अतः समय के साथ चलिए और टेक्नोलॉजी में महारत हासिल
कीजिए, अन्यथा आपका दस वर्ष का लौंडा आपको अपनी उँगलियों पर
नचायेगा और नाँचने पर मजबूर होंगे. बालमन बड़ा ही चंचल होता है, आपकी बेवक़ूफ़ी के कारण वीडियो, गेम, वल्गर कंटेंट में लिप्त रहने को वह मजबूर होगा.
बेरोज़गार रहेगा तो ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर
क्राइम की दुनिया में ही उतरेगा क्योंकि चोरी और छिनतौड़ी वाली घटना बस 4G तक ही थी.. उधर सरकार भी एक से बढ़कर एक ऑनलाइन प्रोफेशनल को रखेगी. IPC/CrPC
अगर बदला तो सरकार का ज़्यादा ध्यान जेल भेजने के बजाय आर्थिक चोट
पहुँचाने का रहेगा.. अपराधियों की अक़्ल ठिकाने आएगी..
इसलिए आँखें खोलें और पल पल की आविष्कारों को जानिए, सीखने
की कोशिश कीजिए. आपको अगली आने वाली पीढ़ी से लड़ना होगा जो तलवार की तरह
टेक्नोलॉजी में शार्प है. पैदा होते ही आपको मोबाइल दिखाने को ब्लैकमेल कर डालता
है.
कम्पटीशन काफ़ी तगड़ा है देखते हैं हम कितने सफल हो
पाते हैं…